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हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा करुणामूलक नियुक्तियों में नई नीति – एक बड़ी राहत

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा करुणामूलक नियुक्तियों में नई नीति – एक बड़ी राहत हिमाचल प्रदेश सरकार ने करुणामूलक नियुक्तियों से जुड़ी नीति में संशोधन करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घोषणा की है कि यह नीति एक महीने के भीतर तैयार होकर लागू कर दी जाएगी। इस फैसले से उन परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी, जिनके सदस्य सरकारी सेवा में कार्यरत थे और उनकी असामयिक मृत्यु हो गई थी। सरकार का उद्देश्य इस प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना है, ताकि पात्र आवेदकों को शीघ्र नियुक्ति मिल सके। करुणामूलक नियुक्ति क्या होती है? करुणामूलक नियुक्ति का अर्थ है कि जब किसी सरकारी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी रूप से विकलांग हो जाता है, तो उसके परिवार के किसी सदस्य को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी प्रदान की जाती है। यह नियुक्ति उस परिवार की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए की जाती है, ताकि वे अपनी आजीविका चला सकें। लेकिन इस प्रक्रिया में अक्सर देरी हो जाती है, जिसके कारण प्रभावित परिवारों को कई सालों तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में सरकार द्वारा की गई इस नई नीति की घोषणा एक बड़ी राहत के रूप में देखी जा रही है। मुख्यमंत्री का बयान और नई नीति की जरूरत मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि करुणामूलक आधार पर नौकरी पाने के लिए परिवारों को वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने यह फैसला लिया है कि एक महीने के भीतर इस नीति को अंतिम रूप देकर लागू किया जाएगा। इस नीति के लागू होने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया तेज होगी और योग्य उम्मीदवारों को जल्द नौकरी मिल सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आसान और पारदर्शी बनाना है। इसके लिए सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने की प्रक्रिया को सरल बनाएं और लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटाएं। वर्तमान प्रक्रिया में आने वाली समस्याएं वर्तमान में करुणामूलक नियुक्ति पाने के लिए आवेदकों को कई प्रकार की औपचारिकताओं से गुजरना पड़ता है। इसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित समस्याएं देखी गई हैं— 1. लंबी कानूनी प्रक्रिया: आवेदन करने के बाद विभिन्न विभागों से स्वीकृति लेने में काफी समय लग जाता है। 2. दस्तावेज़ी औपचारिकताएँ: दस्तावेज़ों की जांच में महीनों लग जाते हैं, जिससे परिवारों को परेशानी होती है। 3. रिक्त पदों की अनुपलब्धता: कई बार विभागों में रिक्त पद उपलब्ध नहीं होते, जिससे नियुक्ति में देरी होती है। 4. विभिन्न स्तरों पर फाइलों का अटकना: आवेदन की फाइलें कई विभागों के चक्कर लगाती रहती हैं, जिससे प्रक्रिया लंबी खिंच जाती है। 5. पारदर्शिता की कमी: कई बार आवेदनकर्ताओं को स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती कि उनकी फाइल किस स्तर पर अटकी हुई है। नई नीति से मिलने वाले लाभ नई करुणामूलक नीति लागू होने के बाद निम्नलिखित लाभ होंगे— 1. जल्द नियुक्ति प्रक्रिया: नई नीति के तहत सरकार इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय-सीमा में पूरा करेगी, जिससे आवेदकों को जल्दी नौकरी मिल सकेगी। 2. कम औपचारिकताएँ: दस्तावेज़ों की जांच की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा, ताकि आवेदकों को कम से कम परेशानी उठानी पड़े। 3. रिक्त पदों की समस्या का समाधान: सरकार विभिन्न विभागों में रिक्त पदों की समीक्षा करके आवश्यकतानुसार नए पद सृजित करने पर विचार करेगी। 4. एकीकृत डिजिटल प्रणाली: आवेदन की स्थिति ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा दी जा सकती है, जिससे आवेदकों को पारदर्शी जानकारी मिल सके। 5. आर्थिक सुरक्षा: इससे प्रभावित परिवारों को शीघ्र आय का स्रोत मिलेगा और वे आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगे।

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